होली
होलिकादहन की तीक्ष्ण ज्वाला में
जग की कलुष-क्लेश-शक्ति जली,
चारों ओर सुदीप्ति फैली;
सात्विक आभा को समेट-समेट कर
चाँद ने विशद आकार लिया।
पूर्ण चाँद को देख-देख कर
फागुन ने बाँहें खोली,
पूरी प्रकृति ने समवेत कहा -
‘चलो, साथ मैं भी हो ली’
तो, आयी रंग-उमंग-पुचकारों से भींगी-भींगी,
गाती-ठुमकती, ठहठहाती,
ठिठोली करती भोली-भाली होली!
-सतीश
27 March, 2021
रंगभरी होली
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें