जीवन के घने तार
जीवन के गहरे नाते-रिश्ते,
संगी-साथी, संबंध-सम्पर्क,
भावों के सुघड़ छंद-बंध,
हल्की चोटों में बिखर गये,
न जाने कितनी दूर,
हल्की ठेसों में लुढ़क गये!
कुछ ज़िद्द, कुछ अफ़रा-तफ़री में,
कुछ आपाधापी, अनजानी मनमानी में,
बहुत बार केवल नादानी में,
कुछ तर्कों, कुछ बातों में
अटक-लटक, अड़-पड़ कर
जीवन के घने बुने-बने तार
यों ही बेचारे, बेतरतीब हुए,
यों ही अनमने कहीं छूट गये।
⁃ सतीश
Feb 5, 2022.
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