प्रकृति-सत्ता

शिखरों को जाने-अनजाने,

अपने बोध-अबोध में 

मौन बने रहने की प्रकृति  मिली होती है!

लहरों को, लेकिन, चट्टानों से 

टकराने की लत लगी रहती है,

इसी प्रक्रम में उन्हें आने-जाने,

ऊपर-नीचे होने, उठने-गिरने की 

आदत मिली होती है!


लहरें जब-जब चट्टानों से टकराती हैं,

सुंदरतम लगती हैं,

वे अपने अस्तित्व का औचित्य बताया करती हैं! 


शीर्ष शक्तियों को ज्ञात रहे कि

पर्वतों के सुंदरतम फैलावों में 

गहरी घाटियाँ, दूर-दूर तक फैली 

कंदराएँ बसी होती हैं,

ऊँचे, पवित्रतम कुंड बसे होते हैं! 


सतीश 


May 15, 2022. 





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