महादेव
शिव हैं काल, अकाल सकल!
शिव हैं सत्य, शिव हैं सुंदर,
शिवत्व सृष्टि का अमिय अवयव!
सृष्टि के संजीवन तत्व तुम हो,
विधान, नियति, समग्र लीला तुम हो!
सृजन, शक्ति, संहार तुम हो,
भोर, शाम, याम, सार, संसार तुम हो,
कल्प, संकल्प, अनंत युग-युगों की परिधि,
सम-विषम समाधान तुम हो,
हे महादेव, तुम हो जय, अजेय, अपरिमेय!
नमन तुम्हें, बार-बार नमन तुम्हें !
माथे पर अर्द्धचंद्र का निष्काम कर्म लिए,
देह पर सर्पों की विविध कलाओं को थामे
तुम अविरल जीवन-शक्ति की अमर्त्य जटा!
तेरे त्रिशूल पर ठहरे हैं, जग के
असत्-सत्, विष-अमृत, जर-अजर!
तुम पुनीत मानवता के शीर्ष रव,
तन और मन के पूर्ण मिलन से
निःसृत ध्वनि, ताल, नाद, लय में मज्जित
तुम निराकार-साकार तांडव!
जीवन के अनन्य रस्म तुम,
मुक्ति-संहिता के पूर्ण भस्म तुम,
साधना-आराधना, प्रवृत्ति-निवृत्ति के
भोले भावों से भरे ओम तुम,
हे महादेव, तुम हो जय, अजेय, अपरिमेय!
नमन तुम्हें, बार-बार नमन तुम्हें !
⁃ सतीश
May 16, 2022
Civic Center, San Francisco.
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