अनिश्चितता

हर पग जाना-पहचाना हो,

पूर्व-निर्मित, निश्चित हो - 

ऐसी सोच क्यों? 


अनिश्चिताएँ 

अनदेखी संभावनाओं से भरी हो सकती हैं! - 

संभावनाएँ, जो अनजानी हैं,

संभावनाएँ, जो बिलकुल दूरस्थ होती हैं, 

संभावनाएँ, जो व्यावहारिक-सी नहीं लगती! 


हर दिन हमें थोड़ी-सी अनिश्चितता अपने मन में,

कदम में, योजना में, 

विचारों में, भावनाओं में,

आम दिनचर्या में घोलते रहना चाहिए! 


सतीश 

30 June, 2022. 





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