अशफाक के जन्म-दिन पर

स्पष्ट ध्येय से आसक्त अर्पण को,

क्या  कहूँ इस एकनिष्ठ समर्पण को?


नमन और कृतज्ञता के हर शब्द अशक्त हैं;

कुछ और नहीं, 

देश-कर्म-धर्म ही है एक लघु तर्पण !


सतीश 

 Oct 23, 2022. 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बहुत बार

ऐ हिम, तुम मानव हो क्या?

क्या करूँ ईश्वर ?