शाम
रक्त की ऊर्जा से दीप्त सूरज,
खिलखिलाती मन-मुक्त शाम,
बाँहें खोले ऊँचे प्रसन्न पेड़,
स्याह बादलों में ललित लालिमा भरती प्रकृति,
आकाश की नील-नील उत्सुकता
धरती को निहारने के निमित्त आकुल!
सब एक-दूसरे के मन में डूबे हुए,
साथ-साथ,समवेत,समाहित!
विभिन्न वर्णों के स्वरूप, विविध अस्तित्व-रूप,
जीवन के भावपूर्ण, सुंदर समास,
अस्तित्वों की सार्थक संधि !
-सतीश
Dec 30, 2022
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