पनघट
मर्यादा-भित्तियों से घिरे
पनघट-पनघट में रमे रहते
सहज, सुंदर, स्वच्छ,
धीर-अधीर जीवन-नीर !
ये नीर बच्चों से भोले होते -
जैसे ही उत्सुक घट आते
वे सहर्ष उनके हो लेते,
सस्नेह स्वयं को सौंप देते;
बिना किसी रोका-टोकी, आना-कानी,
बिना किसी ग्रंथि, बिना किसी उद्वेलन के
घर-घर तक समोद पहुँच जाते!
- सतीश
Jan 5, 2023.
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