राजनीति और साहित्य
मैं कभी नहीं कहता कि राजनीति छोटी होती है;
हाँ, बार-बार कहता हूँ कि
साहित्य की दृष्टि बड़ी होती है!
और, जब-जब साहित्य-दृष्टि संक्षिप्त होती है,
निश्चित ही, भीतर-ही-भीतर, कहीं-न-कहीं
वह अपने आपसे से रहित होती है, रिक्त होती है!
-सतीश
Jan 14, 2023.
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