हिंसा-अहिंसा

सच पूछो,तो,बहुआयामी होते हैं, 

हिंसा के चेहरे और चरित्र!

गहरे धँसे भी! 


बम, गोले, बारूद ही हिंसा के साधन नहीं;

कुकर्म और अकर्म भी हिंसा है! 

तथ्यों की हत्या भी हिंसा है,

तर्कों की तोड़-मरोड़ भी हिंसा है,

विवरणों, विश्लेषणों का सौदा करना भी हिंसा है,

नफा-मुनाफ़ा में रत बड़े नारे उछालना भी हिंसा है! 


हमें परखना चाहिए,परखते रहना चाहिए 

स्वयं अपने भीतर कि 

हम हर दिन करते हैं कितनी और कैसी-कैसी हिंसा! 


क्या हम अपने को ले जा सकते हैं

“अहिंसा” की सच्ची पूजा की ओर? 


-सतीश 

Oct 9, 2023. 




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