लतिका

लतिका 

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लतिका ! 

हर दिन हँस-हँस कर

उसने धूप पी ली;

वह जीवन से भर गई,

हरी-भरी हो गई। 


वह चहारदीवारी पर चढ़ गई,

झुरमुटों पर सरक गई,

काँटों पर तन गई,

फूलों के साथ महक गई,

जीवन जी गई


चुपचापतन्मयप्रसन्न ! 


सतीश 

Oct 28, 2023

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