मानवता क्या है?
सोचता हूँ, मानवता क्या है?
पहले हत्या करना,
फिर, निर्दोषों को अपनी रक्षा का कवच बनाना
मानवता है?
पहले आतंक मचाना,
फिर, बच्चों, महिलाओं की आड़ में छिपना
मानवता है?
पहले युद्ध बरपा देना,
फिर, चारों ओर, युद्ध-विराम के कलामय आँसू गिराना
मानवता है?
पहले फ़साद करना,
फिर, “शांति” के सुविधाजनक श्लोक पढ़ना
मानवता है?
पहले घृणा से लबालब हरकतें करना,
फिर, “प्यार” की कहावतों को ढूँढ लाना,
उसे “दुकानों” पर, चाँदनियों पर, चौकों पर,
गीतों में, ग़ज़लों में, वक्तव्यों में, तर्कों में
पूरी योजना के साथ सशरीर खड़ा कर देना
मानवता है?
सोचना चाहता हूँ,
ईमानदारी से, सच्ची निष्ठा से,
धर्म की आँखों में समय-काल को रख कर कि
मानवता क्या है?
— सतीश
Oct 19, 2023.
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