रंगमंच
रंगमंच
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नायक, महानायक, खलनायक
अपनी-अपनी भूमिका में अति व्यस्त हैं;
किराये के खिलाड़ियों से भरी सभा है,
लेखक, पत्रकार, साहित्यकार
आँखों की पुतली, तन्मय कठपुतली बनने में तुले हैं,
विशेषज्ञ, सर्वज्ञ अपनी अदाओं में मत्त, मस्त हैं;
भिन्न-भिन्न भंगिमाओं के बीच
तालियाँ, अठखेलियाँ जारी हैं,
हँसती, खेलती, खिलखिलाती चेतनाओं के हार्दिक जमघट में
न्याय, पत्र, पुरस्कार आयोजित हैं, प्रायोजित हैं!
बेचारी जनता के पास
न कोई रंग, न मंच है,
यही उसका जीवन,
उसके जीवन का अनोखा रंगमंच है!
- सतीश
मार्च २७, २०२३
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