मित्रता
मित्रता
सच्ची मित्रता है एक महान् वरदान,
भूल-चूक से परे जीवन का सुंदर मान!
स्मृति की अनजानी लड़ियों को पाकर
उघड़-उघड़ कर वह खिलखिला उठती,
बातों से बातों की तरंगों पर चढ़कर
न जाने कैसे-कैसे, कहाँ-कहाँ बहक जाती,
अनगिनत खुले भावों के संवेगों को पाकर
वो मन के कोने-कोने में है लहक जाती!
-सतीश
जून 9, 2024.
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