कोई बात थी जो
कोई बात थी जो
चाय में ढुलक गई,
मन से फिसल गई,
मिल गई, घुल गई,
सरल-तरल हो गई,
अपने आप को खोती हुई,
अपने आप को पाती हुई !
सहज पेय हो गई,
यादों में रिस कर
जीवन भर के लिए गेय हो गई।
कोई बात थी जो!
सतीश
अगस्त 19, 2024.
कोई बात थी जो
चाय में ढुलक गई,
मन से फिसल गई,
मिल गई, घुल गई,
सरल-तरल हो गई,
अपने आप को खोती हुई,
अपने आप को पाती हुई !
सहज पेय हो गई,
यादों में रिस कर
जीवन भर के लिए गेय हो गई।
कोई बात थी जो!
सतीश
अगस्त 19, 2024.
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