जीवन, - जी वन!

जीवन, - जी वन! 


जो आज कठिन, कठोर शीत है,

वह कल अतीत होगा! 


मौसम के प्रहार से 

जो आज गिरने को अभिशप्त हैं,

वे कल वसंत के शृंगार होंगे, वसंत होंगे! 

जो आज भटकने को नियतिबद्ध हैं,

हो सकता है, वे कल के संत होंगे; 

जो वन-वन में विचरने, विहरने को अभ्यस्त हैं,

संभवत:, वे ही पूरा जीवन जियेंगे, 

वे ही कल जीवन (जी वन!) बनेंगे! 


सतीश 

नबम्बर 16, 2024


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