मन, पूछ लो
मन, पूछ लो
मन, पूछ लो कि
दूरियों में बसी हैं यादें
या
यादों में दूरियाँ बसी हैं?
मन, पूछ लो कि
जीवन के धागे जो कभी उलझ गये,
बार-बार सुलझाने पर भी
वे गाँठ बनने की होड़ में क्यों हैं?
मन, पूछ लो-
सूरज तुम
क्षितिज पर जल कर भी,
बहुत दूर उजल कर भी
इतना निकट क्यों लगते हो?
⁃ सतीश
सितम्बर 23, 2024.
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