हो सकता है
हो सकता है
हो सकता है,
दीवारें दरक जायें,
खिसक, टूट जायें -
बाहरी दबाव से नहीं,
तन की चोट से नहीं,
बल्कि किसी भारहीन सौंदर्य-बोध से,
मन की सहज पुलक से,
भावनाओं के मोहक प्लावन से!
तुम जीवन की दीवारों को
कुछ सौंदर्य-भाव दे दो,
कुछ पुलक, कुछ प्लावन दे दो!
- सतीश
अक्टूबर 13, 2024.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें