रंग-अंतरंग

  रंग-अंतरंग 


लास-उल्लास से भरी हुई 

अंतरंग स्मृतियाँ दमक उठीं,

अंतस् की छवियाँ लहक गईं

तरल पुचकारों, प्यार-फ़व्वारों से;

रिक्त भाव भी सहज सिक्त हुए

रंग-उमंग के अल्हड़ खिलवाड़ों से-

जैसे रूखे-सूखे पर्वत मन से हरे-भरे हुए

वर्षा की बूँदों की नादान छुअन से! 


-सतीश 

मार्च 29, 2024. 

रंग पंचमी 


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