स्वर्ग दो हैं
स्वर्ग दो हैं
स्वर्ग एक नहीं, दो हैं, -
वे दो ह्रदय हैं,
दो शरीर हैं,
दो धड़कनें हैं,
दो उज्ज्वल संज्ञाएँ,
दो सार्थक विशेषण हैं,
वे तन और मन हैं,
वे शील-सम्बद्ध हैं,
वे आलिंगनबद्ध हैं!
⁃सतीश
मार्च 31/ मई 24 2025
स्वर्ग दो हैं
स्वर्ग एक नहीं, दो हैं, -
वे दो ह्रदय हैं,
दो शरीर हैं,
दो धड़कनें हैं,
दो उज्ज्वल संज्ञाएँ,
दो सार्थक विशेषण हैं,
वे तन और मन हैं,
वे शील-सम्बद्ध हैं,
वे आलिंगनबद्ध हैं!
⁃सतीश
मार्च 31/ मई 24 2025
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