वन , तुम कैसे हो?
वन , तुम कैसे हो?
वन, तुम कैसे हो?
अलग-अलग भाव-दशाओं में, भंगिमाओं में
तुम
“जीवन” में रह लेते हो,
“मधुवन”, “उपवन” में बस जाते हो,
“सावन” में रम जाते हो,
“चितवन” में ठहर जाते हो?
वन, तुम कैसे हो?
- सतीश
जुलाई 1, 2025
वन , तुम कैसे हो?
वन, तुम कैसे हो?
अलग-अलग भाव-दशाओं में, भंगिमाओं में
तुम
“जीवन” में रह लेते हो,
“मधुवन”, “उपवन” में बस जाते हो,
“सावन” में रम जाते हो,
“चितवन” में ठहर जाते हो?
वन, तुम कैसे हो?
- सतीश
जुलाई 1, 2025
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