प्रकृति-कृति
प्रकृति-कृति
जब-जब अपने आप में खो जाता हूँ,
स्वयं को टोह लेता हूँ,
स्वयं को टटोल लेता हूँ,
स्वयं को कुछ पा लेता हूँ;
जब-जब “मानचित्र” को भूल जाता हूँ,
कुछ भटक जाता हूँ,
कहीं-न-कहीं नये मान,नये चित्र को,
नये भूगोल को पा लेता हूँ;
जब-जब कुछ फिसल जाता हूँ,
किसी सुंदर गंतव्य को पा लेता हूँ!
यह प्रकृति है?
या कृति ?
या प्रकृति-कृति ?
⁃ सतीश
मार्च 17, 2025
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