तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
विह्वल बालक बना देती हैं मुझे
तुम्हारी यादें!
ज्ञान की जटिल जंजीरों से दूर
चंचल, अबोध, अपरिचित,
अकुंठित, अनावृत, अनुद्वग्नि,
सहज, सरल, तरल,
मग्न, मज्जित, लीन, विलीन!
⁃ सतीश
मई 30, 2025
तुम्हारी यादें
विह्वल बालक बना देती हैं मुझे
तुम्हारी यादें!
ज्ञान की जटिल जंजीरों से दूर
चंचल, अबोध, अपरिचित,
अकुंठित, अनावृत, अनुद्वग्नि,
सहज, सरल, तरल,
मग्न, मज्जित, लीन, विलीन!
⁃ सतीश
मई 30, 2025
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