उजाले आना चाहते हैं!
उजाले आना चाहते हैं!
उजाले आना चाहते हैं,
थोड़े में नहीं, पूरे में, पूरेपन के साथ ! -
वे फुदकना चाहते हैं,
वे चहकना चाहते हैं,
तन में सरकना चाहते हैं,
मन में लहकना चाहते हैं,
वे गाना-गुनगुनाना चाहते हैं!
पर, खिड़कियाँ खुली नहीं हैं,
किवाड़ें बंद हैं,
मन सोया है,
तन खोया है!
उन्हें खोले कौन?
वे खुलें कैसे?
उन्हें जगाये कौन?
उन्हें जगायें कैसे?
-सतीश
अप्रैल 20, 2025
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