जब भी मैनें कुछ कहा
जब भी मैनें कुछ कहा
तुम्हारे बारे में जब भी मैंने कुछ कहा,
लगा कि जैसे कुछ छूट गया,
कुछ ख़ाली हो गया,
जैसे ह्रदय-मानस ने आकर्षण का कलेजा खो दिया!
या फिर मन रिक्तताओं से भर गया !
बात की हर मोड़ पर, मरोड़ पर मैं
जैसे कुछ कह गया
कुछ अपने आप को, कुछ तुमको;
कुछ कहते-कहते छूट गया,
कुछ कहने के पहले फिसल गया,
कुछ कहने के बाद खो गया!
कहना और नहीं कहना
एक दूसरे के विलोम हैं?
या परस्पर पूरक हैं?
⁃ सतीश
मई 15, 2025
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