नव बिहार, नव विहार!

पर्यावरण!

जंगल! 

जलवायु-परिवर्तन! 


वरण की अथक यात्रा? 

या हरण का सतेज वरण? 

बिहार का उच्च तेजार्थ ! 

चारा, बेचारा!

सामाजिक न्याय की पुनीत गति?

सम्पूर्ण क्रांति की पूर्ण कथा-प्रथा! 

अनवरत, अप्रतिहत, अरूद्ध ! 



“सामाजिक न्याय” का सुंदर, स्वस्थ विहार!

हार मत कहना इसे, ऐ बिहार,

यह किसी के गले का “आरक्षित” हार है!

यह प्रजातंत्र की धन्य, मूर्द्धन्य जय है!

सुशासन है, 

विकास की अदम्य कथा है। 


जंगल नहीं यह, 

जन, जन-हित के गलित-विगलित,

द्रवित होने की, होते रहने  की 

नैसर्गिक प्रकृति है! 

मौसम की बदल है,

भरे सावन में गुर्राते बादलों की 

चतुर अदला-बदली का मनोहारी खेल है!

अर्थ के अर्थों से सनी-सनी 

एक आवश्यक, अबाध्य क्रिया है? 

रास-लास की लीला है? 


जलवायु-परिवर्तन! 

प्रजातंत्र के जल और वायु को 

नयी वर्तनी मिल गई है! 

क्षितिज और पावक भी

किसी पुनीत यज्ञ-भाव से धवल हो उठे हैं! 


याद रखनी चाहिए तुम्हें कि

लोग कहते हैं, 

यह “विकास”, “विकास-पुरूष” की 

ऊँची आशाओं के सुंदर, “हसीन” स्वप्नों की 

आडम्बरहीन, व्यथा-विहीन, पवित्र महायात्रा है! 

यह नये, असली “गाँधी” का नया “चम्पारण” है! 

सत्ता की आत्म-मुग्ध चम्पाओं का द्वंद्वरहित रण है!


परिवार-गण की आदि शक्ति की 

आत्मकथा से ओत-प्रोत 

वैशाली की महान् लिच्छवि है? 

या सत्ता की भोली, निपुण, कलामयी आम्रपाली है? 


या, तथाकथित स्वच्छ, 

ऊपर-ऊपर उड़ते पढ़े-लिखे लोगों,

कविताओं, कहानियों, कलाओं में 

आत्मा की शांति ढूँढ़ते महायोगियों की

संवेदना, सजगता से लथ-पथ

पलायन की आत्म-कथा है? 

राजनीति से निर्वाण  के बौद्ध-वृक्ष का

 “निष्काम” फल है? 

 एक अलौकिक खीर है? 

या, पावापुरी के नये 

“महावीरों” के उच्चतम  

आदर्शों को ओढ़ी हुई मौन-पट्टी, पट्टिकाओं 

का एक अविचलित आवरण है? 

एक सहज पर्यावरण है? 


यह सम्पूर्ण क्रांति की 

सजग जय, सचेतन प्रकाश है? 

दिनकर की अरोक “रश्मिरथी” है? 

रेणु का “मैला आँचल” है?

विद्यापति की नूतन विद्या से भरी-भरी 

रस-भरी, सात्विक गीत-माला है?

शंकर-भाव का नया अवतरण है? 


फिर, मन कहता है, कहने लगता है - 

यह भी तो सोचो - क्या यह 

किसी समुद्र-मंथन का नया कालकूट है?

नये शंकर का प्रकृति-नियोजित आह्वान है? 

नयी अमिय-शक्ति की आराधना का 

अनिवार्य, अतुलित क्षण है? 

और, यह है

नयी सकारात्मक शक्तियों को उकसाता-उमेठता -

नव पर्यावरण, जंगल के आदि-भाव का आगमन,

नव जलवायु-परिवर्तन? 


सतीश 

16 August, 2022

(10.55 AM)


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