दूर जाती आँखें
सिमटा हुआ मन,
ठहरी हुई यादें,
ऊभ-चुभ सोच!
भाव-भँवर की घूर्णियों में घूमती आँखें
जा रही हैं चुपचाप दूर-सुदूर -
राग-रंग-रव ढूँढती, कुछ अंतरंग खोजती,
अनुभूतियों का पता-ठिकाना टोहती -
कुछ पहचानी-सी, कुछ अनजानी-सी!
- सतीश
April 16, 2023
& May 5, 2023
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