प्रतीक्षा है कला की
प्रतीक्षा है कला की
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प्रतीक्षा है,
तर्कों, विचारों, भावों के शिविर में
बेवजह उलझने की नहीं,
बल्कि, सुलझने की कला हो;
दोष और दूषण के आरोपण से दूर,
कुंठा और अकर्म की मानसिकता से परे
योग्यता-पटल गढ़ने की कला हो,
कर्म-पुट रचने की कला हो;
देश से मनोदेश तक
अपने भीतर धँसने की,
स्वयं को अनवरत ढूँढने की कला हो,
सतत् मार्जन, परिवर्द्धन की कला हो।
प्रतीक्षा है!
-सतीश
May 23, 2023.
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