शस्य
शस्य
धरती के भीतर
चाहे जितना भी अँधेरा हो,
वह सुंदर शस्य उगा देने से
रूकती नहीं, थमती नहीं!
धरा का नैसर्गिक स्व, स्वत्व,
प्रकृति का हँसमुख हरित सत्व
कोमल भावों से हर्षित होकर,
उत्सुकता से प्राणित होकर,
तन्मयता से हिल-डुल कर
मन के ऊपर हल्के से उभर आता!
- सतीश
April 14, 2023.
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