बादल और सूरज
बादल और सूरज
पूरब-क्षितिज पर
बादल - बड़े हों या छोटे
उजले-गोरे हों या काले -
कभी अकेले,कभी गिरोह में
आकुल-व्याकुल होकर
सूरज को ढँकने में लगे हैं!
रिक्त-अतिरिक्त चिंता-पीड़ा से मुक्त
सूर्य एकनिष्ठ,एकधुन हो
हर पल उजलने में लगा है!
यह है जीवन की नैसर्गिक विधा?
या प्रकृति-तत्वों की अपनी-अपनी नीयत?
अपनी-अपनी नियति?
⁃ सतीश
अगस्त 11, 2024.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें