सूर्य
सूर्य हे सूर्य देव ! आकाश में रहकर भी धरती के कोने - कोने तक पहुँचने की तुम्हारी इच्छा - शक्ति नमस्य है ! आकाश में एक लघु आकार में आकर भी तुम पूरे संसार में छा जाते हो ! इसलिए , तुम आराध्य हो ! धरा पर रहकर भी हम उसकी ओर मुड़ नहीं पाते , ग्रीवा को झुका नहीं पाते , कुंठा की पैनी जकड़ को ढीली कर नहीं पाते , “ अहम् ” से “ हम ” की ओर बढ़ नहीं पाते , सात्विक रूप से जल नहीं पाते , उजल नहीं पाते ! सतीश Nov 21/28 2023 ( छठ पूजा के उपरांत )